मातृ-पूजन
जनेऊ से पहले गुरू जी द्वारा मातृ पूजन किया जाता है। पहले दीवाल पर 16 की माँये (कपड़े पर बनाई हुई) दीवाल पर ऐपन या टेप से लगाई जाती है। मातृ पूजन के लिये घर में सबसे बड़े व्यक्ति या बुजुर्ग को ही बैठाया जाता है। जो मातृ-पूजन करते हैं।
सामग्री– पूजन में
- 1 पाव घी
- सूखा आंवला
- मुनक्का
- 100 ग्रा छोटी सुपाड़ी
- हल्दी की गांठ
- रोली, कलावा, कपूर
- पान, फूल, बताशे, रुई, माचिस
- नवग्रह के लिये सफेद कपड़ा
- आम की लकड़ी
- आम के पत्ते
- कलश सकोरी
- 25 दोना 25 सकोरी
- 1 थाली मंत्र के लिये
- 5 जोड़ी लौग, 5 जोड़ी इलायची
- गुड़, बताशे, फले
यदि केवल यज्ञोपवीत या जनेऊ का कार्यक्रम है तो पहले दिन धरा जाता है गुरूवार या रविवार को। जनेऊ बालक के पहले, तीसरे व पाँचवें वर्ष से 12 वर्ष की आयु तक अथवा विवाह पूर्व हो जाता है।