ये कुल देवता माने जाते हैं। घर में बहू आने पर तथा लड़के का जन्म होने पर इनकी पूजा की जाती है। दही एवं पुये से पूजा होती है। ये चित्र दीवाल पर बनाकर (ऐपन से) पूजते हैं। दही एवं आटा सवा सेर या सवा पाँच सेर लिया जाता है।
रीति रिवाजों की खुशबू (कुमकुम चतुर्वेदी द्वारा)