- शिव पार्वती की मूर्ति (मिट्टी की)
- शिव पार्वती के वस्त्र
- दुपटटा चीर
- चूड़ी
- मीठा
- नारियल
- खीरा
- नींबूँ
- सिक्का, दिया
- केले का पत्ता
- जल, हल्दी, रोली डालकर
- अर्ग लगाते समय गाने वाला अर्ग गीत, छिड़कने के लिये छबरिया का सामान- साड़ी, ब्लाउज, सुहाग का सामान, नारियल, 16 पीस मीठा, बाकी दैनिक उपयोग आने वाला सामान।
- यदि शिव-पार्वती पेंट (कलर) किये हुए नहीं है तो कलर करने लिये कलर्स सुविधानुसार।
सदा मन में ये भाव रहे कि भगवान को पूर्ण सुसज्जित श्रृंगार साथ सजा कर भाव से पूजा करे।
विधि विधान- रीति-रिवाजों के अनुसार हरतालिका तीज से एक दिन पहले यानी दौज को मेंहदी वगैरह लगाई जाती है। हरतालिका तीज के दिन दोपहर बाद यानी शाम के समय पवित्र स्थान पर हल्दी से लेपकर चौक लगाये। उस पर चौकी रखकर लाल कपड़ा बिछाये। अब शंकरजी व पार्वती जी को पूरे वस्त्र आभूषण पहनाकर यथावत श्रृंगार करके चौकी पर श्रद्धा पूर्वक स्थापित करे। सामने पूजा के थाल में रोली, चावल, फूल, मीठा, चढ़ाने की चीर (दुपटटा) व चूड़ी रखे। नीचे परात में “अर्ग” लगाने लिये केले का पत्ता, नारियल, खीरा, नींबू व एक सिक्का रखें तथा एक जग में शुद्ध जल रोली व हल्दी डालकर रखें।
पहले अपनी कलाई थापें। रोली, चावल, फूल से शंकर जी व पार्वती जी की पूजा करें। हम लोगो में पूजा शुरू करने से पूर्व सुहागन स्त्रियाँ रोली से अपनी हाथों को दोनो कलाई थापती है। पार्वती जी की पूजा करके उनको चूड़ी व चीर चढ़ाये। शंकर जी को मीठे का भोग लगाये। इसके बाद पहला अर्ग पार्वती जी के नाम का लगाया जाता है। उसके बाद सब स्त्रियाँ अपना-अपना अर्ग लगाती है। अर्ग लगाने के लिये हाथ में नारियल, खीरा, नींबू, दिया व 1 सिक्का लेकर व सिर पर केले का पत्ता रखकर अर्ग देती है। इसमें एक स्त्री धीरे-धीरे जल डालती है व बाकी महिलायें “अर्ग गीत” गाती है।
सब का अर्ग लगने के बाद आरती करते है। हाथ में चावल, सिक्का, फूल लेकर (हरतालिका का दिन, अपना नाम, गोत्र) बोलकर संकल्प के साथ छबरिया छिड़कती है। दूर से आने वाली महिलाये पूजा के बाद ही पार्वती जी से सुहाग ले लेती है व आशीर्वाद की चूड़ी पहनती है। यहाँ ये बताना उचित होगा कि गौरा जी से सुहाग लेने की प्रक्रिया में दायी हाथ से गौरा जी को सिन्दूर लगाते है व बायें हाथ से गौरा जी से सिन्दूर लेकर माथे पर व माँग भरते है। ये प्रकिया 7 बार होती है। उसके बाद आशीर्वाद के रूप में गौरा जी से 2 चूड़ी व चीर लेकर पहन लेती है।
हरतालिका का अर्ग (गीत)
बेल बिजौरों, नारियरौं, टनटारियरों बे देतीं गौरन दे अर्ग, अर्ग दइय वर माँग लियो, महोदव (नाम) जात भरतार, दे मेरी गौरा रानी सो जू बरू सो तारे जा परिवार, हारो-नियरो, दुःख दालिद्री पर बुद्धियरों, पर चित्तीयरों, जुआरियरों, गौरा सो मत देऊ भतार, हाथ मेंहदुली रंग राचनी के सिरह कुसुमिल घाट, एड़ियाँ महावर रंग भयो, जा के गोद जरूलो पूत। गौरन दे के पाटियां जिन ऊधो सो सिन्दुराजन मैलो होय।
महादेव (नाम) राह बढ़ें, वे निशदिन बढ़ें, उनके धन बहुतेरो माल घनेरो होय। नीचे से हासुला राजा के चढ़ें, सब परचन में परधान।।
हँसिये-चितिये कैसे हँसुला टपकियों, में माँगरें, माँछरें सूती ढांग ढगोरा हे। लखतरियो रे पतिया रे लड़े भिड़े करोड़िया। सो ताको नाम फूला ऐ, फूला बेला कसमलिया, कसमलिया ऐ लरिया ऐ शंकर सिरे चढ़ाइयों, मैं महामास के नहाये माधों जाइयों, जो जाय फल होय सो मन इंचियों, हाथ कलाई कंकन चूनर ओढ़नों। हिये नौ सो हार, पाँच-दस अंगुरी, जाय जुही को फूल, समुद्र को पानियां।।
महादेव (नाम) से भरतार।।
गौरन (नाम) दे रानियां।।
सात कुआँ पानी, बेराजा-बेरानी।।