पाठ नियम

नियमानुसार “दुर्गा शप्तशती” पुस्तक के पहले पाँच स्त्रोतों का पाठ करने के बाद प्रतिदिन के पाठ (जैसे प्रथम दिन के पाठ) लिखे अनुसार पाठ करें। उसके बाद आगे के स्त्रोतो का पाठ करें। उपरान्त पाठ पूर्ण कर श्लोक के 108 उच्चारण के साथ हवन करें। इसके लिये सुविधा पूर्ण तरीके से नियम बद्ध पाठ सं० व पेज सं0 दी जा रही है। इसी तरह से प्रतिदिन के पाठ के शुरू व आखिर में लिखे स्त्रोतो का पाठ करें। “दुर्गा शप्तशती” पुस्तक में पाठ करने का निम्न विधान दिया है।

पाठ पेज

  1. श्री दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् -9
  2. अथ देव्याः कवचम् -19
  3. अथार्गला स्त्रोतम् -30
  4. अथ कीलकम् -36
  5. श्री देव्यथर्व शीर्षम् -44

दुर्गा जी के पाठ प्रतिदिन जोड़े से पाठ होगें

पहले दिन- 13 वाँ पाठ, 1 पहला 179-59

दूसरे दिन- 12 वाँ पाठ, 2 दूसरा 171-75

तीसरे दिन- 11 वाँ पाठ, 3 तीसरा 159-88

चौथे दिन- 10 वाँ पाठ, 4 चौथा 153-97

पाँचवें दिन- 9 वाँ पाठ, 5 पाँचवा 145-109

छठवें दिन- 8 वाँ पाठ, 6 छठा 134-123

सातवें दिन- 7 वाँ पाठ, 7 सातवाँ 128-दो बार

अष्टमी व नवमी को- आगे व पीछे के पूरे स्त्रोतों का पाठ होगा।

  1. अथ तन्त्रोत्तम देवी सूक्तम -189
  2. अथ दुर्गा द्वात्रिंशन्नाम माला -224
  3. सिद्ध कुंजिका स्त्रोतम -230
  4. अथ देव्यपराध क्षमापन स्त्रोतम 214-226
  5. क्षमा प्रार्थना -214
  6. श्री दुर्गा चालीसा का पाठ -ओम् सर्व मंगल मांगल्ये
  7. सिद्ध कुंजिका स्त्रोतम का श्लोक मंत्र 108 बार पढ़ते हुये हवन करे।

अज्ञारी में– हवन सामग्री, देशी घी, चीनी, काले तिल, जौ, पंचमेवा, आम की लकड़ी, कपूर इत्यादि।