जो संस्कृत में पाठ नहीं कर सकते वे हिन्दी में पाठ कर सकते है। श्रेष्ठ यह है कि “देवी कवच, “अर्गला स्तोत्र” और “कीलकम्” का पाठ करे। इसके साथ ही हाथ जोड़कर “देवी सूक्तम्” का पाठ करे।
- विपत्ति नाश के लिये
- भयनाश के लिये
- कल्याण के लिये
- सारी बाधाओ से मुक्ति के लिये
- अज्ञारी/हवन प्रतिदिन करे।
हवन
सिद्ध कुंजिका के नीचे दिये गये श्लोक का 108 बार उच्चारण/पाठ के साथ आहुति दे। –
श्लोक/मंत्र 108 बार बोले
ॐ ऐम् ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे।
ऊँ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय-ज्वालय।
ज्वल-ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल।
ऐम् ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे।
ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।