होली का त्योहार होने के पश्चात चैत्र मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को बासोड़ा अष्टमी अथवा शीतला अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार में एक दिन पहले ही भोजन बना लिया जाता है। तथा दूसरे दिन पूजा के उपरान्त ठंडा भोजन करने की परम्परा है।
पूजन विधि एवं सामग्री- चैत्र माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाये जाने वाले पर्व के लिये भोजन के साथ-साथ पूजा की पूरी सामग्री भी एक दिन पहले ही बनाई जाती है। पूजन के लिये 1 लोटा जल में चने की दाल, रोली, चावल, फूल, शक्कर डालकर माता पर चढ़ाया जाता है।
ऐपन- आटा व हल्दी का घोल (ऐपन) बनाकर दोनो हाथो की दो-दो अंगुलियो से 8 बार ऐपन के थापे लगाये जाते है। इसके बाद माता को 8 पूड़ी, 8 गुजिया व आटे का हलुवा भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। मन्दिर में यदि नीम का पेड़ हो तो वहाँ भी इसी विधान से पूजा की जाती है। व माता पर शर्बत चढ़ाया जाता है। ये कहा जाता है कि नीम के पेड़ पर शीतला माता का वास होता है। मन्दिर से पूजा करके आने पर घर के दरवाजे के दोनों तरफ ऐपन से थोड़ा बड़ा गोला बनाकर उसमें बीच में सतिया बनाया जाता है और फिर रोली, चावल, फूल से पूजा की जाती है। दरवाजे के दोनो तरफ दो-दो बूँद शर्बत चढ़ाया जाता है। माता पर चढ़ाने को-
सामग्री-
- 1 लोटे में जल- जिसमें चने की दाल, रोली, चावल, फूल, शक्कर हो।
- 8 गुजिया- पगी हुई
- 8 पूड़ी
- 8 अमेठी
- हलुआ व ऐपन (घुला हुआ)