शुभ कार्य करने से पहले घर के बड़े बुजुर्ग द्वारा हर मातृपूजन कराने का विधान है। जनेऊ, विवाह, चौक इनमें 16 की माँये बनती है। केवल बालक मुण्डन संस्कार में 32 की माँये बनायी जाती है। यहाँ ये बता दें कि माँये के चित्र के साथ ये 16 या 32 मात्रिकायें बनायी जाती हैं।
विधि- माँये बनाने के लिये सवा मी0 सफेद कपड़ा लें। चित्र के अनुसार कपड़े पर ऊपर एक ओर सूर्य देवता व दूसरी ओर चन्द्र देवता चित्र के अनुसार माँये ड्रॉ करें। सूर्य व चंद्र देवता का गोल आकार किसी कटोरे या ढक्कन की सहायता से बनाये अथवा पुराने कार्ड पर गोल ड्रॉ करके काट लें व बीच में चेहरा बना लें। अब इसी तरह कार्ड पर स्पेस के हिसाब से कार्ड पर 16 का बबुआ बनाकर काट लें जिससे सब बराबर ही बने।
कलर करने के लिए प्रचलन के अनुसार चावल पीस कर उसमें हल्दी मिलाकर या एपन से बनाते थे। परन्तु अब सुरुचिपूर्ण ढंग से बनाने के लिए एवं सुविधा के लिए हल्दी पीले रंग का फ़ैब्रिक कलर लिया और उसमें शगुन के लिये चुटकी भर हल्दी मिला लीजिये। अब ब्रश की (0-1 नम्बर) की सहायता से माँयें बनायें। बनाते समय हमारे मन में ये भाव रहे कि जिनकी हम पूजा करेंगे उनका श्रद्धा के साथ पूरा शृंगार हो इसके लिए सब पीले रंग से बनाये। पर बिंदी, होंठ, चूड़ी, महावर लाल रंग से बनायें।