- लड़की का पूरा कपड़ा विवाह में देने वाला।
- सगाई की ड्रेस लड़की की ।
- महिला संगीत की ड्रेस।
- जयमाला की ड्रेस (लहंगा/साड़ी)
- फेरो के वक्त की डेस।
- विदाई के वक्त की ड्रेस।
- लड़की को बाकी देने वाला सामान । सबसे पहले एक डायरी में लड़की से सम्बन्धित कपड़ा लत्ता उपयोग में आने वाला सारा सामान व अन्य देने वाले सामान की विधिवत लिस्ट बना ले।
- ननिहाल पक्ष भातियो की।
- विदा कपड़े।
- महिलाओं की साड़ियाँ (यथा योग्य) देने वाली ।
- मर्दो के कपड़े।
- बच्चो के कपड़े।
- गोले, तिलक, नेग, मिठाई इत्यादि के लिफाफे पहले से तैयार।
- कन्या की सास की साड़ी।
- सुहागिन खिलाने की साड़ी।
- अछूते की साड़ी + सुहाग का सामान।
- दो पाऊड़े की साड़ी।
- चार कामवाली की साड़ियाँ।
- कन्या की ससुराल पक्ष की साड़ियाँ।
- दायजे की साड़ियाँ।
- विवाह में देने हेतु पहराउन।
- इसके बाद घर की लड़कियों, बुआ, भाँजी, भतीजी, बुआ की बहुएँ, इन सब के परिवार के हिसाब से लिस्ट बनाकर।
- विदा की साड़ी।
- मिठाई।
- तिलक।
- नेग।
- लड़की की घाट व साड़ी। सगाई (पक्कायत) में (चलन के अनुसार) चाँदी का ग्लास, चांदी की प्लेट, चांदी का नारियल(गिन्नी सोने की), लड़के के कपड़े।
- विदा के वक्त “गूँथ छुड़ाई” में एक चाँदी का ग्लास।
- पान जनेऊ सोने की अंगूठीनुमा।
- कन्यादान के वक्त।
माँगरों का सामान
- 10 दर्जन कंघा
- 10 दर्जन सिन्दूर डिब्बी
- 6 पीस अलता
- 6 पीस मेहँदी कोन
- 12 दर्जन हेयर बैंड
- 10 दर्जन सिन्दूर गीला
- 10 दर्जन बिंदी पत्ता
- 2 पैकिट सेफ्टी पिन
- लाल रिबन का 1 डबल रोल
- सात फेरो के लिये- माँगर सामान की सं0 उपयोगितानुसार
- 7 बर्तन इच्छानुसार।
- 7 तौलिया।
- 1 छोटा सूप डेकोरेट किया हुआ(फेरो के लिये)
- 2 सूप बड़े सादा दिन धरने को।
- 2 पटे।
- 1 पैकिट सूती कलावा।
- 1 छोटी तांबे की लुटिया मण्डप के लिये।
- माँगरो के लिये 2 ब्लाऊज-पीस, लाल या गुलाबी।
- माँगरों में बाँटने के लिये बर्तन इच्छा अनुसार(उपयोगिता के अनुसार संख्या 11 क्योंकि अब घर-बाहर सभी को ब्यौहार दिया जाता है।)
- द्वारचार के लिये दो बड़े कलश व 2 बड़े लोटे।
- कन्यादान के लिये 1 बड़ी परात, 1 जग, 1 लोटा।
- पूजा के लिये 1 थाली।
- सिन्दौरा सिन्दौरी।
- 6 छोटी तौलिया।
- गुरू जी के 5 कपड़े कुर्ता-पायजामा, अँगोछा, बनियान, रुमाल।
- पाऊड़े की दो साड़ी लाल या गुलाबी प्रिंटेड उपरान्त कथनानुसार पहला पाउड़ा भतइयो के लिये बिछाया जाता है। जिस पर 7 कच्ची पूड़ी 7 सकारे व 1-1 सिक्का रखा जाता है। दूसरा पाउड़ा फेरो के वक्त दूल्हे को मण्डप में लाने के लिये बिछाया जाता है।
- 16 की माँयें बनेगी मातृ-पूजन हेतु।
- 1 नया लोटा व 1 थाली पूजा के लिये ।
- एक मिट्टी का कलश दिन धरने के लिये।
- गौरिहत के लिये साड़ी व घाट।
- काका मामा की बाल्टी में रखने के लिये साड़ी थोड़ी कायदे की।
- घर परिवार की खानदान की लड़कियों की विदा बुआ, बहन, बेटी, भांजी, भतीजी इत्यादि।
यहाँ ये बताना जरूरी है कि लड़की की शादी में घर परिवार की केवल लड़कियो को ही विदा की साड़ी दी जाती है। अपितु बहुओ को नहीं दी जाती विदा की साड़ी। केवल लड़के के ब्याह में जिठानीयाँ दौरानीयाँ बहुओ को 1-1 साड़ी ब्याह की व लड़कियो को 2-2 साड़ी एक विदा की व एक दायजे की कहकर दी जाती है।
- इसके अलावा जैसे कि घर की ननद व बुआओं की बहुएँ, इनको लड़की के ब्याह में भी विदा दी जायेगी व लड़के के ब्याह में भी।
- सास की साड़ी भारी व घाट की साड़ी।
- लड़की की जिठानी, ननद यानि ससुराल पक्ष की खास महिलाओं की साड़ी अलग देने का प्रचलन हो गया है।
- दायजे की 20 साड़ियाँ।
लेने वाला बाकी सामान
- माँये के लिये, बनाने का सफेद कपड़ा/ सफेद ब्लाउज पीस।
- मातृ-पूजन के लिये सामग्री -16 की माँये, सफेद कपड़ा नवग्रह के लिये, 1 पाव घी, दौने कागज के, सूखा आँवला, हल्दी गाँठ, सुपाड़ी, रोली, चावल, बताशा, लाल रिबन, पान, फूल, 16 पूये, कपूर, रूई, माचिस, लाल कपड़ा (टूल)।
- 10-12 मिट्टी की सकोरी, आम की लकड़ी, साबुत खड़े उर्द, 4-5 लोहे की कील, 10-12 मिट्टी के दिये।
- 2 जोड़ी बिछिया घुंघरू के।
- 2 जोड़ी बिछिया सादा।
- लड़की की “खादी बरइया” यानी फेरो के लिये पीली साड़ी जो मामा के यहाँ से आती हैं।
- विशेष बात ये ध्यान रखना कि- ब्याह का जो भी सामान आये उनका यानी हर एक का अछूता निकाले जैसे- साड़िया एक अछूते का, माँगरों का सामान 1 पैकिट अछूते का, 1 पहराउन अछूते की। इसके लिए एक पैकिट अछूते के नाम का बनाये जिसमें ये सामान रखते जाये जो घर की बेटी /बुआ को दिया जाता है।
- भोजन व जो भी सामान/मिठाई हलवाई बनाये उसका रोज अछूता निकालना न भूले।
शादी के सामान की पैकिंग एवं सुचारू रूप से पैकिंग करना
विवाह की पूरी खरीदारी एवं व्यवस्था बनाने के बाद अब महत्वपूर्ण विषय पर मनन करने का है। कि -किस प्रकार सामान की सुचारू रूप से व्यवस्था यानि पैकिंग की जाये। अब वो चाहे लड़की के देने वाला सामान हो, कार्यकमो से सम्बन्धित हो, घर-परिवार को देने वाली विदा हो, पूजा से सम्बन्धित सामान हो या अन्य कोई। जैसे आज के वर्तमान समय में हम लोग विवाह शादी के कार्यक्रम घर से न करके बाहर यानी अन्यत्र स्थान – होटल/गेस्ट हाउस आदि से करते हैं। ऐसी स्थिति में सुविधाओं की दृष्टि से कुछ छोटी-छोटी ध्यान में रखते हुये तैयारी कर लें| सबसे पहले हम हर सामान की अलग-अलग कार्यक्रमों के अनुसार लिस्ट बनाने के बाद और उन्हे अलग-अलग पैकिंग करने के साथ ही उनके नाम के स्टीकर यानि नं० सं0 व नाम से पैक करे व साथ ही कोई ऊँ या स्वास्तिक का भी स्टीकर लगाना आवश्यक है जिससे जानकारी रहे कि यें विवाह सम्बन्धी सामान है। उदाहरण के रूप में कुछ बाते (बताने) साझा करने की कोशिश कर रहे है। जैसे………