पीली चिट्ठी और लगुन पत्रिका

पीली चिट्ठी व लगुन में अन्तर होता है। पीली चिट्ठी में केवल बड़ो के नाम लिखे जाते हैं। जब की लगुन में a to z यानी बड़े बुजुर्ग से छोटे बालक तक (मर्द लड़के बालको) के नाम लिखे जाते हैं। पीली चिट्ठी विवाह से दो माह पूर्व भेजी जाती है। लगुन 15 दिन पहले भेजी जाती हैं। साथ ही लगुन में माँगर, तेल ताई मूरवान एंव फेरों(भावरों) का मुहुर्त समय सब लिखा जाता है।

पीली चिट्ठी

विवाह सम्बन्ध तय हो जाने पर विवाह के पूर्व कन्या पक्ष द्वारा वर पक्ष को प्रेषित(भेजे जाने वाली) चिट्ठी का प्रारूप-

ॐ श्री गणेशाय नमः

जननी जन्म शौख्या

वरधनि कुल सम्पदाय

पदवी पूर्व पुख्यानाम्

लिखयते पीत पतिकाम्

पीली चिटठी

अति शुभ सम्वत्…………….शाके साल वाहने…….मसानाम् मसोप्तमेत्…………….नामे………………….पक्षे……………तिथौ………………वासरे………………..नाम नक्षत्रे पीत पतिकाम् लेखनम् दिनम् शुभम्।। सिद्ध श्री सवोपमां सकल गुण निधान पत्नी श्रीपान श्री गंगाजल शीतल श्री यमुना जल निर्मल योग्य लिखी शुभ स्थान…………………(भेजने वाले स्थान का नाम) श्रीमान श्री………………जी (वर पक्ष के समस्त पुरूषो व लड़को के नाम) एवं समस्त सपरिवार, समस्त लधु दीर्घ को (छोटे बड़ो को ) योग्य लिखी शुभ स्थान (जहाँ से पत्र जा रहा है) समस्त घर वालो (पुरूषों व लड़को) के नाम उम्र के अनुसार (श्री एंव जी नहीं होगा) एंव अन्य समस्त लघु दीर्घन का कृपा कर पालागन वचनी।। आगे चिरंजीव (श्री वर का नाम) उसके विवाह की पीली चिटठी भेज रहे है। कृपया शुभ मुहुर्त में चढ़ाने की कृपा करें। साथ में मिठाई के रूपये भेज रहे है।

नोट- यदि खेत लगुन या पाँच दिन को लगुन देनी हो तो विवाह कार्यकम इसी पत्र से भेजने चाहिये जिसमें मांगर, तेल, ताई, मूरवान, छेई पूजा, संख्या, द्वारचार पूजन, कलश पूजन, रात्री वर वधु के पाणीग्रहण (फेरे विवाह भावरे) का मुहुर्त एंव समय लिखें। इस चिटठी के ऊपर सतिया बनाकर (रोली से) लगाकर सुपाड़ी, चावल, हल्दी की गॉठ रख कर व कलावे से लपेटकर दे या डाक द्वारा भेजे। यह आवश्यक है कि विवाह संस्कार हेतु जन्मपत्री मिलाना, विवाह तिथि एंव अन्य विचार हेतु अपने ही कुल गुरू से परामर्श करना चाहिये। शोध अथवा पीली चिटठी एक महीने पहले लड़की वालो की तरफ से वर पक्ष को भेजी जाती है जिसमें एक पत्र (पूरा विवरण) व रूपये होते है।

लगुन

लगुन कम से कम पन्द्रह दिन अथवा बारह दिन पहले लड़की पक्ष की तरफ से भेजी जाती है। आचार्य लगुन लिखता है व उसमे तेल, ताई, मांगर, छेई पूजा व विवाह का मुहुर्त लिखता है। शुभ दिन में लगुन लिखी जाती है। आँगन में सादा चौक लगता है। उस पर लड़की बैठती है। उसके हाथ में नारियल व लगुन रखी जाती है। लड़की के हाथ से लगुन माँ लेती है। महिलाएं गीत गाती है। उस दिन भोजन में कतरों का झोर, धोई, भात, पूड़ी या रोटी बनती है।

इस दिन लुगन किसी के भी हाथो समधी के यहाँ भेजी जाती है या डाक द्वारा भेजी जाती है। लगुन लेकर जाने वाले सदस्य को वर पक्ष की ओर से रूपये व कपड़े दिये जाते है। लड़के के हाथ में उसी प्रकार चौक पर बैठाकर हाथ पर लगुन रखी जाती है। व लड़के की माँ उसके हाथ से ले लेती है। लगुन की विदा उसी दिन अथवा आगौनी में दी जाती है।

ब्याह तीन तरीके का होता है।

  1. सैकड़ा
  2. सवइया
  3. पचस्या

सैकड़ा व सवइया में दो बाल्टी होती है। इसमे एक बाल्टी में मर्दाने कपड़े व दूसरी बाल्टी में जनाने कपड़े रखे जाते है। पचस्या में एक बाल्टी में ही मर्दाने व जनाने दोनो कपड़े रख दिये जाते है।