सगाई एंव गोदभराई

सर्व प्रथम दोनो पक्ष लड़की पक्ष व लड़का पक्ष किसी सुनियोजित स्थान पर कार्यकम हेतु एकत्रित होते है। सबसे पहले चौक लगाकर पाटे पर लड़के को बैठाया जाता है। लड़की के पिता अथवा घर का बड़ा-बुजुर्ग व्यक्ति लड़के को माँगलिक तिलक करते है और शगुनसात पक्कायत के रूप में लड़के को चाँदी के गिलास में बूरा/ शक्कर भरकर ग्लास व नारियल शगुन रूप में देते है।

तत्पश्चात लड़के को उपहार रूवरूप वस्त्र इत्यादि दिया जाता है। लड़के का मुँह मीठा कराते है व न्यौछावर करते है। उसके बाद लड़की पक्ष के लोग बारी-बारी से लड़के को तिलक करते है। व उपहार स्वरूप शगुन में कुछ उपहार या रुपये देते हैं व साथ ही न्यौछावर भी करते है।

उसके बाद दूसरी तरफ से यानी वर पक्ष की और सबसे पहले लड़के की माँ लड़की को माँगलिक टीका लगाती है। व साड़ी पहनाती है जेवर आदि पहनाती है (सामर्थ्य के अनुसार)। तब लड़की को गोद में शुगुनसात साड़ीब्लाउज़, सुहाग का सामान (मेकअप किट) साड़ियो का मैचिंग चूड़ी सैट, नारियल, फल, मिठाई व मेवा से लड़की की गोद भरती है।

उसके बाद न्यौछावर करती है। उसके बाद लड़के पक्ष के बाकी लोग लड़की को टीका (तिलक) करके उपहार स्वरूप कुछ न कुछ देते हैं व साथ ही न्यौछावर भी करते जाते है। उसके बाद लड़की व लड़का एक दूसरे को अंगूठी पहनाते है। इसके बाद लड़की पक्ष की ओर से लड़के के माँ-पिता व अन्य रिश्तेदारो को वस्त्र दिये जाते है। इस प्रकार सगाई का कार्यकम सम्पन्न होने पर दो परिवार एक हो जाते है। और दोनो ही पक्ष आनन्द पूर्वक सुरूचिपूर्ण भोजन का आनन्द उठाते है।