मुण्डन के बाद बालक की माँ (बहू) पत्तल छिड़कती है। पत्तल छठी के सामने ही रखी जाती है। इसमें नाग देवता के उठाये (उसारे) रूपये रखे जाते है। पत्तल में आम का अचार, 1/2 किग्रा० बैगन, 6 पूए रखे जाते है। साथ ही मेंहदी, आलता इत्यादि पत्तल का सब सामान हरी पत्तल पर छिड़का जाता है। मातृ पूजन की माँये अच्छा दिन देख कर (सोमवार को) पनीछी जाती है। पनीछने के बाद माँयें बहते पानी में सिरवा दी जाती है।
पत्तल मुण्डन के बाद ही छिड़कने का विधान है। मुण्डन के पश्चात बालक को स्नान कराकर व नवीन वस्त्र पहनाकर सिर पर स्वास्तिक बनाया जाता है। इस संस्कार में घर परिवार खानदान ब्योहरियों को परम्परागतनुसार भोजन में आने वालों को 4-4 लड्डू दिये जाते हैं।