एक दिन पहले छठी पूजने के पश्चात दूसरे दिन यानी मुण्डन संस्कार के दिन सुबह सबसे पहले दीवाल पर 32 की माँये रखकर (लगाकर) मातृ पूजन किया जाता है। मातृ पूजन में 16 लड्डू ,16 पूड़ी 8-9 छोटे कुल्लड, पूजा में आवला, मुनक्का, 4 जोड़ी लौग, 4 जोड़ी छोटी इलाइची, सुपाड़ी,रोली, अक्षत, कलावा. नवग्रह के लिये सफेद कपड़ा, ऐपन घोल कर रखना है। पंडित जी/ गुरू जी को दक्षिणा व कपड़े दिये जाते है। साथ ही सुरूचि पूर्ण भोजन करायें। मुण्डन में नाऊ को कटोरा या भगोना (नया) पानी भरकर देना है। उस पर 51-101 रू० दे। अब कच्चे आटे की पूड़ी बनाकर उस पर जरूली (बाल) लेने के लिये 101 रू० रखे। बालक की बुआ इस पूडी पर ही बालक के उतरे हुये बाल लेती है। पहले 1 गोला व 4 लड्डू का अछूता निकाले। व्योहारियो को 4-4 लड्डू ब्योहार में दे। इस समय मुण्डन होने के बाद नया पानी भरा कटोरा या भगोना नउये को दे दिया जाता है। मुण्डन के बाद ही पत्तल छिड़की जाती है।
रीति रिवाजों की खुशबू (कुमकुम चतुर्वेदी द्वारा)