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- सबसे पहले मुण्डन संस्कार करने के लिये गुरू जी अथवा पंडित द्वारा दिन व मुहुर्त सुधवाया जाता है।
- मुण्डन संस्कार पहली, तीसरी व पॉचवी साल में किया जाता है।
- यदि घर में विवाह आदि हो तो पहले बालक का मुण्डन किया जाता है जिससे शुभ कार्य शुरू करने से पहले मुण्डन की माँये पूजी जाये।
- मुण्डन के लिये 32 की माँयें बनाई जाती है। जो सबसे बड़ी मानी जाती है।
- मुण्डन की छठी बनाई जाती है जो सवा मी0 कपड़े पर बनती है। पहले कुछ समय पूर्व दीवाल पर ही छठी रखी जाती थी।
- छठी रखाई नेग दिया जाता है।
- गुरू जो के कथनानुसार एक ही परिवार में मुण्डन की माँये दो बार पूजी जा सकती है।
पूजा का सामान
- 50 दिये।
- 1 छोटा कलश।
- 32 की माँएँ।
- 1.25 मी0 कपड़े पर बनी छठी।
- उर्द,लोहे की कील।
- 1 सेत की साड़ी।
- सुहागिन खिलाने के लिये साड़ी, ब्लाउज, सुहाग का सामान, फल, मिठाई इत्यादि।
- 11 पान।
- भीगे चने।
- 1 नया भगोना या कटोरा इत्यादि।