बहू का आखिरी नहान कराना

सर्वप्रथम यहाँ ये बता दें कि बालक एवं बालिका दोनो के ही जन्म पर एक सा विधान है। आखिरीनहान एवं सूर्य देवता का पूजन एक जैसा ही होता है।

विधि-

बालक/बालिका के जन्म से लड़के के तीन नहान एवं लड़की के चार नहान में आखिरी नहान पर बहू सुबह सिर धोकर नहाएगी व बच्चा भी नहायेगा। इस दिन किनौने की पूड़ी व हलवा बनता है। जिस स्थान से सूर्य नारायण दिखें उस स्थान पर हल्दी से लेप कर चौक लगायें। कटोरी में एपन घोलकर तीन उंगलियों से बहू के कमरे से पूजा के स्थान तक (बाहर तक) 7 बार एपन के निशान लगाने है। जिन रखकर पैर रखकर ही बहू बच्चे को गोद में लेकर पूजा के स्थान तक आएगी। कोई लड़का यानी देवर,भतीजा, भाई बहू को उँगली पकड़कर ले जायेगा। बहू पूजा के स्थान पर बच्चे को गोद में लेकर सूर्य नारायण देवता की रोली, चावल, मिठाई से पूजा करेगी। पूजा की थाली में आटे के सूर्य व चन्द्रमा बनाकर रखे जाते हैं। जिनकी रोली, चावल,फूल व मीठे से पूजा होगी।पूजा के बाद बहू के हाथ पर मीठा रखकर या दो पूड़ी व हलुवा भी हाथ पर रखकर बहू उठेगी। लौट कर आते समय एपन से बने निशानो पर पैर नहीं रखना है। पूजा करके आने पर चरूआ छिड़का जाता है।