सबसे पहले माँये पनीछने के लिये माँये के साथ-साथ एक पूजा की थाली तैयार करे जिसमे रोली, चावल,फूल, भीगी हुई चने की दाल, पंजीरी भोग के लिये, एक लोटे में जल, चौक लगाने को आटा, ऐपन, दिया घी के साथ तैयार व माचिस। ये तो हुई सामग्री।
विधि-
पहले पेड़ पर ऐपन से 7 बार थापन लगाकर रोली, चावल बताशे से पूजा करे। फिर माँये अपने आंचल में लेकर 7 बार पनीछे। पर ध्यान रहे कि सातवी बार माँये अपनी गोद में आनी चाहिये। इसके लिये सबसे पहले सामने वाली सुहागिन स्त्री अपने ऑचल में माँये रखे व हमे दे। इस कम में सातवीं बार माँये अपनी गोद में आयेगी फिर माँये पेड़ पर लगाये। नीचे आटे का चौक लगाये और माँये की रोली, चावल, फूल से पूजा करे। पहले जल चढ़ाये तब रोली चावल, अक्षत चढ़ाएं उसके बाद भीगी दाल चढ़ाए। पंजीरी का माँ को भोग लगाये व दिया जलाकर आरती करे व सिक्का चढ़ाये। पूजा होने पर घर की लड़की माँये उठा ले व 1 का चढ़ाया हुआ सिक्का खुद आर्शीवाद के रूप में अपने पास रख ले। घर आने पर घर के द्वार पर ऐपन से थापे लगाये, जल चढ़ाये, दाल चढ़ाये व रोली चावल से पूजा करे। तब सब को पंजीरी का प्रसाद वितरित करे।
माँये सोमवार को पीनीछें। उस दिन घर में झोर बनेगा।
नोट- चौक में बाँटने के लिये 4-4 लड्डू, 1-1 गोला व भीगे हुए चने दिये जाते है। जिनके यहाँ रिवाज हो। उन के यहाँ चौक के बर्तन भी व्यौहारियों को बाँटे जाते है।