पूजा वाले सूखे नारियल पर 3 या 4 आटे की बड़ी बड़ी व थोड़ी मोटी पूड़ी बेल कर पूजा के नारियल के चारो तरफ चिपका देते है। जिससे नारियल पूरा ढक जाये। उसके बाद आटे का एक बड़ा सा दिया बनाकर नारियल के ऊपरी सिरे पर कायदे से लगा दे इस प्रकार कि दिया नारियल पर जम जाये। ये नारियल नीचे प्लेन होता है जिससे आसानी से खड़ा हो जाता है। ऊपर दिये वाले हिस्से में सजाने के लिये खड़े खड़े सीधे जौ लगा देते है। नारियल को चारो तरफ से गोटा, गोटे के फूल, सितारे आदि से सुन्दर डेकोरेट करे। अब दिये में एक रूई की थोड़ी बड़ी बाती बनाकर रखे व घी डाले। बहू को मनाकर लाते समय ये ही दिया जलाया जाता है और बहू हाथ में लेकर आती है।
चौक के सारे वारे उतारना
- माँयें पनीछी जायेगी तो पनीछ कर घर की लड़की यानि बहन/बुआ को दे दी जाती है। दूसरी स्थिति में उन्हे पूजकर सिरवा भी सकते है।
- चाक- बाँस पूजा करके सिरा दिया जाता है।
- नारियल सिरा दे।
- कमियाँ -बहू के सारे वारे उतारते समय कमियाँ उढ़ाई जाती है। उसके बाद फूफिया सास को दे दी जायेगी। चौक के सातवे दिन सारे वारे होते है। परन्तु सारे वारे 3,5,7 घटे में भी हो सकते है।
सारे वारे की विधि
7 बर्तनो में 4-4 पूड़ी 2-2 लड्डू रखकर 5 या 7 सुहागने सिर पर रखकर बहू को कमिया उड़ाकर 7 चक्कर लगाती है। सूप में गेहू डालकर बहू की झोली में डालेगे। बहू लौट कर सूप में डालेगी। इस तरह 7 बार यह प्रकिया करी जाती है। हर बार चक्कर लगाते समय बोला जाता है।
डड्डी वाले मूँछ मुछाड़े,
उतरो सारे – वारे।।
(मायके का नाम) के घर रोवे लड़का वाले
(ससुर का नाम) के घर खेले लड़का वाले
(बहू का नाम) के घर रोवे लड़का वारे।
(बहू देवर) के घर खेले लड़का वारे।।
शाम को पूड़ी सेक ले। कलश का पानी छिड़क कर कलश को संभाल कर रख दे। इसी कलश में बालक बालिकाये होने पर चरूआ छिड़का जाता है।
डिलीवरी को जाते समय-
- अपने कुल के देवी देवता के नाम का उसारा होता है।
- अपने घर खानदान के बुजुर्गो (पुरखो) के नाम के उसारे होते है।
- बच्चा होने के तुरन्त बाद बाहर आने पर बालक होने पर बहू पर नाग देवता के नाम का उसारा किया जाता है जो मुण्डन में छठी पूजन के वक्त रखा जाता है। परन्तु कन्या रत्न प्राप्त होने पर नाग देवता के नाम का उसारा नहीं होता है।