- मातृपूजन के लिए 16 की माँयें बनेगी।
- एक सफेद कपड़े पर ऐपन (आटा हल्दी का घोल) से चाक-बाँस का चित्र बनाया जाता है।
- 1 सूखा नारियल – पूरा डेकोरेट करके, ऊपर आटे का दिया लगाया जाता है।
- 8 पूड़ी, 8 लड्डू, 4 फर आटे के, 21 रू0 – ये सामान एक पैकेट में रखा जाता है जो गोद में डालकर बहू जायेगी।
- पहले पूजा में नीले की साड़ी पहनेगी।
- दूसरे जिस घर में रूठ कर जायेगी वहीं नाश्ता पानी होगा।
- सेत पहनकर – नारियल पर आटे का जलता हुआ दिया लेकर आती है। ससुर मनाने जाते हैं।
- चौक में गोद में बिठाने के लिए एक गुड्डा रखा जाता है।
- ससुर बहू को मनाकर लाते हैं और दिया ले लेते हैं। दिया उतराई नेग देते हैं।
- जब बहू रूठकर जायेगी तो यहाँ इधर मातृ-पूजन होगा।
- बहू घाट पहनकर हवन में बैठेगी।
रीति रिवाजों की खुशबू (कुमकुम चतुर्वेदी द्वारा)