पनीछा

बहू के स्वागत का सामान एंव विधि-विधान

स्वागत सामग्री-

  1. अमला लगेगा।
  2. एक डेकोरेटेड कलश (छोटा) अक्षत (चावल) भरकर।
  3. पाँउड़े बिछाने के लिए एक साड़ी लाल या गुलाबी प्रिंटेड।
  4. 7 कच्चे सकोरे व 7 कच्ची पूड़ी, 1-1 सिक्का।
  5. एक थैली में 7 गुना। एक बड़ा गुना व 6 छोटे गुने।
  6. 8 पूड़ी व 8 लड्डू व रुपये। दरवाजे पर दोनो तरफ हाथी लगाये जाते है।

विधि

बहू आने पर पहले बहू व लड़के से अमला की पूजा करवाई जाती है। पहले बहू अमले में बहू की ऑख की पुतली बनाती है। तब अमले में बने सूर्य- चन्द्रमा की व अमले की पूजा करती है। अमले को दीवाल पर बनाया जाता है। परन्तु वर्तमान समय में कपड़े पर अमला बनाकर दीवाल पर लगा देते है। इसके नीचे डबल चौक घुँघरू का लगता है। उसके बाद दरवाजे पर यानि दहरी पर चौक लगा कर चावल से भरा कलश रखे। बहू से दरवाजे पर पेन्ट कर बने हाथी या थर्माकोल से बने हाथी दरवाजे पर लगाये हुये की पूजा रोली चावल से कराकर बहू दाये पैर के अंगूठे से चावल के कलश को अन्दर की तरफ लुड़कायेगी। यही से आगे पाऊड़े की साड़ी बिछाई जाती है जिस पर 7 पूडी कच्ची रखकर उस पर 1-1 सिक्का व कच्चा सकोरा रखा जाता है जिस पर पैर रखकर आगे-आगे लड़का प पीछे बहू अन्दर प्रवेश करते है। (सकोरे उल्टे करके रखे जाते है।)

पनीछने की विधि

सबसे पहले सास (लड़के की माँ) गुना व अन्य सामग्री वाला पैकिट अपने आँचल में लेकर पहले बहू के आँचल यानि पल्ले में डालती है। तब बहू अपने आँचल से सास के आँचल में डालती है। ये आदान-प्रदान 7 बार होता है। उसके बाद यानी पनीछने के बाद सास बड़े वाले गुना को सामने करके गुना में से बहू का चेहरा देखती है। और मुँह दिखाने के रूप में बहू को गहना या पूरा सेट सामर्थ्य के अनुसार देती है। इसके पश्चात सास एक साड़ी ब्लाऊज , गोला से लड़के-बहू का उसारा करके कामवाली को दे देती है। उसके बाद पहले सास के रिश्ते की महिलायें जैसे तइया सास, चचिया सास, फूफिया सास सब ही गुना से बहू का मुहँ देखकर मुहँ दिखरावनीं करती है व उपहार स्वरुप कुछ न कुछ देती है। पनीछा होने के बाद सब से पहले सास बहू का हाथ पकड़ कर अपने शगुनगीत “सगुना-विधना” पर नाचती है।

बहू के घर में आने पर अमला पूजने के बाद जब बहू पाउड़े पर चलकर घर मे प्रवेश करती है तब घर की महिलायें बहू के स्वागत में स्वागत गीत गायें तो और भी मधुर वातावरण बन जाता है क्योकि एक माँ का सबसे बड़ा सपना होता है ‘ये वो पल’ जब बहू उसके घर में प्रवेश करती है।