वर्ष 1979 को हुई शादी के बाद एक संयुक्त परिवार में इनका आगमन हुआ। चित्रकारी (पेंटिंग) में अच्छी रुचि होने के कारण समय-समय पर पारिवारिक अनुष्ठानों में इन्हें ज़िम्मेदारी दो जाने लगी। अतः पारम्परिक रीति-रिवाजों को और छोटे-छोटे बिंदुओं पर जाननें की तीव्र इच्छा प्रबल होने लगी। फिर धीरे-धीरे इन्हें डायरी में नोट कर संकलित किया जाने लगा। फिर वर्षों बाद इस संकलन का ज़िक्र मुझसे किया गया कि क्यों न एक सरल और सामान्य भाषा में इन रीति-रिवाज़ों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया जाए। ये समाज की धरोहर के रूप में हमारे पूर्वजों द्वारा हम सब को प्रदत्त की गई है। एक अच्छे सामाजिक कार्य के प्रति रुचि में सहमति बनाते हुए इसको प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया। निश्चय ही समाज इससे लाभान्वित होगा ऐसा मेरा विश्वास है।
पति,
सतेन्द्र कुमार चतुर्वेदी