शुभ कार्यों में गाये जाने वाले वाले गीत

1. सीआ दोहा

कब- हर शुभ कार्य में चौक पर बैठते समय ” सीआ- दोहा ” गाया जाता है।

गीत- सीआ -दोहा -राजो तोरण खम्बा,

आँगन चंदन चौरासी ,

आसन मोर सिंहा सन ,

देओ बाँह मोरियो ,

ठाकुर (अमुक चंद ) जायो पूत,

लाडों ई (अमुक कुँवर) उर धरें।

नोट-
इसमें अमुक चंद के स्थान पर पिता का नाम और अमुक कुँवर के स्थान पर माता का नाम लेना चाहिए।।


2. सगुना–विधना

कब- बहू के पनीछा के वक्त गाया जाता है।

* सगुना – गीत * भलेरी माई सगुना आज भये -2

जैसे सगुना आज के -2

भलेरी माई ऐसे ज्यों नित होंय-2

भले री ———

1. खरिग दुहावन हम चलीं -2

भलेरी माई बछ डाय मारिय लात-2

दूध गयो दोहन गई -2

भलेरी माई लगिय कमर में चोट -2 ,

भलेरी माई——

2. सास पूछे बहू दोहनी-2

भलेरी माई साईंया पूछे कहाँ चोट-2,

सास बिसावे दोहनी-2

भलेरी माई सइयाँ पिसावें गुड़ -सौंठ।।

भलेरी ———-

3. एक टका की दोहनी -2

भलेरी माई लाख टका घर नारि।

4. पीपल पूजन हम चली -2

भलेरी माई बाएँ बोलो काग -2,

पीपल पूजत बेऊ मिले -2

भलेरी माई एक पंत दोउ काज -2

भलेरी——-

5. काहे के लाडूँ करूँ -२

भलेरी माई काहे की राधौं खीर,-२

बेसन के लाडूँ करूँ, भलेरी मैं रस की राधौं खीर-२

भलेरी——-

6. नॉत जिमाऊ दोऊ जानें -२

भलेरी माई सगी ननद के वीर-२

भलेर——-

7. काहे होयसो बेगना -२
भलेरी माई गोरे जड़त अनार,

पतले होय सो रसिया-२

भलेरी माई मोटे मुग़ल गँवार।

भलेरी——

8. कोठे ऊपर कोठरी -२

बा में कालो नाग , काटन हों से बच गई -२

भलेरी माई अपने पिया के भाग,

भलेरी माई—-

*विधना – गीत * छैल पायल मोरी बाजे हारिये -2

ऊँची अटारी ईंट की -२

बा में बलम बुलावे हारिये -२

छैल ——-

1. मैं कैसे आऊँ मोरे साहिबा -२

सासुल मोरी जागे हारिये -२

जाग सासुलिया जाग री -२

काऊ दिन तो मर जाएगी हारिये।

छैल—–

2. मैं कैसे आऊँ मोरे सजना -२

जेठी मेरी जागे हारिये -२

जाग जिठानियाँ जाग री -२

काऊ दीन तो न्यारी होयगी हारिये।

छैल—–

3. मैं कैसे औ मोरे साजना -२

ननदी मोरी जागे हारिये -२

जाग ननदिया जाग री -२

काऊ दिन तो टर जाएगी हारिये।।

छैल —–


3. दोना की टाटी

कब-
महीने भर जब बहू “गौरें” पूजती है तब उस समय “दोना की टाटी “गाई जाती है।

* गीत * दोना -की टाटी मा- मरुआ के है खम्बा, आनि जो रोपे हैं सिय द्वारा, हमारी ( अमुक कुँवर – नाम ) बहु अर, क छुअन जाने, गुदी यन -गुदी यन माटिया ले आवे, बा माटिया के बहु अर गवर बनावे, पूजो बहू पूजउ गबर के है आँसू, पूजो बहू पूजउ गवर -गवर के है त्रिपुरा, जो बहू होय पियारी रे सासु, पूजउ बहू गवर के है ओठा, जो बहू होय पियारी रे जेठा , पूजो बहू पूजउ गवर के है दंता, जो बहू होय पियारी रे कन्ता, हमने पुजाई धन न कि है किरिया, धन -धन करें अवध वर रनिया, हमने पुजाई जीरे की है कीनिया, जियो जियो करय अवध वर रनिया।।

नोट-
अमुक कुँवर के स्थान पर बहू का जो नाम रखा जाता है वह लिखा जाता है।यह गीत बहू के गौर पुजाते समय गाया जाता है।।


लेख: आशा चतुर्वेदी