हरछठ

जन्माष्टमी से पहले छठ को हर छठ कहते है। इस दिन हर छठ मइया की पूजा बड़े विधि-विधान से की जाती है व कहानियाँ कहीं जाती है।

विधि- इस दिन माता अपने बालको की रक्षा हेतु एवं दीर्घायु की कामना करते हुये हर छठ मैया का व्रत रखती है। सुबह नहा धोकर सबसे पहले स्वच्छ स्थान पर चौक लगाकर पिसे चावल के घोल से दीवाल पर हर छठ मैया बनाई जाती है। अथवा आज हर छठ मैया का कैलेंडर पूरी तस्वीर के रूप में आता है। उसे दीवाल पर पूजा के लिये लगाया जाता है। इसमें अनाज से छोटी-छोटी कुलियाँ भरी जाती हैं। ये पूरा अनाज व पूजा का पूरा बाकी सामान बाजार में ही मिलता है। बाजार में मिलने वाला पूजा का सामान रोली, चावल, फल, दही, फूल एक थाल में रखे।

6 कुलियाँ हर छठ मैया के नाम की व बाकी 6-6 कुलियाँ लड़को के नाम की भरकर हर छठ मैया के सामने रखी जाती है। तस्वीर में बनी हर छठ मैया की पूजा करे। सब पूजा का सामान माँ को चढ़ायें, कहानी कहें व आरती करें। हर कहानी कहते समय हाथ में पूजा के चार दाने चावल, फूल ले व कहानी खत्म करने पर माँ पर हाथ का ये सामान चढ़ाये और कहे जैसे इसमे हरछठ मैया ने बालक की रक्षा की उसी प्रकार हर छठ मैया हमारे बालको की रक्षा करे। आरती के बाद घर में लड़के के हाथ से सात बार पत्ते पर दही लेकर चाटें व पत्ता सिर के ऊपर से पीछे फैक दें। इस प्रकार 7 बार करें।

माता रानी का ध्यान करते हुये अपनी सन्तान की कुशलता की कामना करें। जो बहुला चौथ व हर छठ की पूजा करते है। उन्हें जन्माष्टमी व्रत नहीं करना चाहिये।