लड़के के जन्म की छठी वाले दिन बहू (बालक की माँ) सुबह नहा-धोकर नहान करके आयेगी। यहाँ यह बता दे कि लड़के के 4 नहाने होते है। 17 दिन या 21 दिन के। छठी पूजने के लिये “छठी” बच्चे की बुआ गोबर से रखती है। गोबर उपलब्ध न होने की स्थिति में रोली से भी रख सकती है। छठी यानि स्वास्तिक जच्चा के कमरे के दरवाजे के दोनो तरफ बनाये जाते है। फिर उन पर मखाने लगाये जाते हैं, छठी रखाई बुआ को शगुन का नेग दिया जाता है। नेग में रूपये या कपड़ा (सुविधानुसार) देते है।
फिर बहू घाट पहनकर आलता लगाकर व खासतौर से खिचड़ी पहनती है। यानि सब रंग की चूड़िया पहनी जाती है। हमारे समाज में लड़का होने पर खिचड़ी यानि सब रंग की चूड़ियाँ पहनने की परंपरा है जिससे ये पता चलता है कि इसको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है। अब बहू बच्चे को गोद में लेकर छठी का पूजन रोली, चावल, बताशे से करती है। पूजा के बाद बच्चे व बहू के हाथ पर मीठा रख कर उठाया जाता है। फिर पूजन के बाद खाने (भोजन) से बने झोर, उर्द, चावल केवल एक-एक चम्मच देकर बहू का मुँह जूठा कराया जाता हैं। बहू को खिलाने से पहले भोजन का अछूता निकाला जाता है। फिर बहू को मुँह जूठा करने के बाद जीरा व अजवाइन की किनौने की पूड़ी व हलुवा खाने को दिया जाता है। रात्री में बच्चे को गोद में लेकर रात भर जागरण किया जाता है। व सोहर गाये जाते है। लगभग 4 बजे तक जागरण किया जाता है।