सामग्री व विधि
माँगर-
1 पैकिट सुहाग का सामान, दो सुहागिन माँगर की चोटी करेगी। चोटी माँ व लड़के की होती है। चोटी करने वाली महिला को 1-1 पैकिट में (डेढ़) पाव चावल, बताशे, रूपये व 1-1 रूमाल या ब्लाऊज का पीस दिया जाता है। माँगर के बाँटने वाले सामान में 1-1 बाँटने का बर्तन, 4-4 लड्डू व्यौहार में दिये जाते है जितनी भी महिलाये संगीत में आती है।
तेल-
8 सकोरी में 4-4 पूड़ी व 1-1 रूपया रखना है।
ताई-
ताई में 7 आम की लकड़ी, गुड़ की ढेली व 2 सरसो के तेल के दिये लिये जाते हैं।
मूरवान-
आटे की जीभ बनाकर कुल्लड़ में मूँदी जाती है। और किसी छिपे स्थान पर छुपा दी जाती है या हलवाई की भट्टी में अन्दर छिपाई जाती है।
रात में गुलगुले बनते है। लड़के की माँ आटे की जीभ को कुल्लहड़ में मूँद कर सब के नाम ले लेकर जुबान बंद करती है यानि मूँदती है। साथ ही हवा, पानी, आँधी, बिजली सब को गा गाकर न्योता जाता है ताकि इन सब के द्वारा किसी तरह की विघ्न-बाधा न आने पाये।
1 मुठ्ठी साबुत उर्द, 4-5 लोहे की कीले, आटा चौक के लिये और कटोरी में ऐपन लिया जाता है।