समस्त व्यवस्था होने के बाद हम चर्चा करते है।
खेरिया/महिला संगीत की तैयारी
आज के परिवेश में महिला संगीत को एक भव्य आयोजन प्रोग्राम की तरह तैयार करके मनाया जाता है। इसके लिए दो तरीके है।
1.
पहला या तो होस्ट करने वाली फैमिली किसी बाहरी व्यक्ति कोरियोग्राफर के द्वारा प्रोग्राम की तैयारी करवाये।
2.
दूसरा तरीका जो व्यावहारिक रूप से कार्यरत हे। वो ये कि घर के ही सदस्य मिलकर यानि घर की ही लड़कियां, बहुयें, बुआयें, मौसी, मित्रगण-सहेलियाँ इसको सिस्टमैटिक तरीके से पहले पूरा विचार कर तैयार करे व पेश करे।
इस में घर की ही कोई महिला सदस्य (योग्य) जो एंकरिंग कर सकती है, वो एंकरिंग करे व प्रोग्राम को लिखित रूप में तैयार करे।
प्रोग्राम की शुरूआत
प्रोग्राम की शुरूआत करने से पहले अपने परिवार की बड़ी बुजुर्ग महिला वर्ग यानि दादी, ताई, चाची, बुआ के आदेशानुसार उनके द्वारा चलाये आ रहे रीति रिवाज (सगुन सात नैक गणेश जी देविन-गीत गाय लेओ। नैक सगुन की बन्नी गाय लेओ।) के आदेश मिलते ही घर परिवार की महिलाएं ढोलक पर गणेश वंदना, देवी गीत व बन्नी गाई जाती हैं और हो भी क्यो न? लड़की का ब्याह हो और बन्नी न गाई जाये तो महिला संगीत अधूरा है।
इसके बाद प्रोग्राम की शुरूआत घर की किसी बच्ची या लड़की द्वारा डांस के साथ गणेश वंदना से करे। इसके बाद एंकरिंग करने वाला व्यक्ति हर रिश्ते के अनुरूप कमबद्ध तरीके से हर एक का स्वागत करते हुये आमत्रित करें।
इस प्रोग्राम को तैयार करने के लिये उपरोक्त पहले दिये गये विवरण के अनुसार एक छोटा उदाहरण दे रहे है।
प्रस्तुति- आज की इस मंगलमय शाम को “महिला संगीत” का रूप देते हुए हम सभी मिलकर शगुन के विवाह गीत जिसमें पहले गणेश जी की वन्दना के उपरान्त देवी गीत एवं बन्नी गीतो को ढोलक की थाप और मंजीरे की झंकार से गुंजायमान करते है। उसके बाद कार्यक्रम को नया रूप देते हुये सुन्दर बलिका द्वारा (नृत्य के साथ) प्रस्तुति वाकई सबका मन मोह लेगी। तो चले पहले हमारे रीति रिवाजो की खुशबू बिखेरते हुये अपने यहाँ विवाह के गीत संगीत से शुरुआत करे।
गणेश वंदना के गीत एवं कुछ भावुक सुन्दर बन्निया। इसके उपरांत-
उदाहरण रूप में- गणपति जी का आशीर्वाद लेते हुए प्रोग्राम का शुभारम्भ पुनः गणेश जी की वंदना के साथ (लड़की का नाम) नृत्य द्वारा सभी का मन मोहने आ रही है। स्वागत करें, गणेश वन्दना के बाद यानि की बन्नी की ताई, चाची, बुआयें, बहनें, भाभियाँ और हमारी विशेष मेहमान मौसी जी व भाभी जी के साथ संगीत को आगे बढ़ाते हुये सभी का अभिनंदन करते है। रिश्तो के अनुसार सभी को एक-एक करके बुलाये। जैसे-बन्नी की-
1.
ताई जी/चाची जी- जहाँ ताई स्नेह व ममता की खान है। साथ में चाची जी संगीत की जान है। तो अपनी लाडली बन्नी को आशीर्वाद देने आ रही है। स्वागत करें………..
2.
बहन- भई इन्तजार की घड़ियाँ खत्म हुई और बन्नो की प्यारी बहना या यों कहें होने वाली साली जी बड़े उत्साह व उमंग के साथ (नाम) आ रही हैं। स्वागत करें………..
3.
बुआ जी- अरे वाह! जमाना पुराना हो या नया, आज भी उसी उत्साह के साथ आ रही है। बुआ का स्वागत करें……………
4.
भाभी जी – जमाने से भाभी द्वारा गुनगुनाया चिर-परिचित गीत होठों पर जाता है। फागुन में ब्याह करूँगी , बैसाख में गौना करूँगी, ननदी फिर नहीं लेऊगीं नाम, भाभी के होठो पर ये चंचल गीत। लेकिन दिल में अपार स्नेह लिये आशीर्वाद देने आ रही है। बन्नी की भाभी (नाम) स्वागत करें……………
6.
मौसी जी- हमारी खास मेहमान बन्नो की मौसी जी का स्वागत करे। आ रही हैं…………………
मामी जी- सबकी प्यारी मामी जी अपने भावो को अभिव्यक्त करने आ रही है। स्वागत करें…………….
इस प्रकार अपने कार्यक्रम को और भी सुन्दर बनाकर प्रस्तुत करे।