कृष्ण जन्माष्टमी से पहले चौथ को बहुला चौथ कहा जाता है। बालक (लड़के) की माँयें ही इसकी पूजा करती है। इसमे व्रत नहीं किया जाता है। इसमे सुबह बेसन की पकौड़ी का झोर, बेसन की पूड़ी व बेसन का ही हलुवा बनाकर “गाय बछड़ा” की पूजा की जाती है। अर्थात पूजा की थाली में सामग्री पकौड़ी का झोर, पूड़ी, हलुवा लेकर गाय व बछड़ा के रोली का तिलक लगाकर यानी पहले गाय के रोली का तिलक लगाकर , पहले गाय फिर बछड़ा को खिलाया जाता है। पूजा के बाद घर में आकर घर के लड़को को तिलक कर थोड़ा प्रसाद दिया जाता है। तथा मातायें ये ही भोजन में खाती है।
रीति रिवाजों की खुशबू (कुमकुम चतुर्वेदी द्वारा)