1.
गणेश पूजन- सर्व प्रथम गणेश जी का पूजन रोली ,चावल, फूल, पान, सुपाड़ी, जनेऊ, लौंग, इलाइची, सिक्का से पूजा करे। सबसे पहले गणेश जी को रोली का तिलक लगाये। अक्षत (चावल) छोड़े, फूल की माला पहनाये। पान में सुपाड़ी, इलाइची, लौग और एक सिक्का रखकर चढ़ाये। गणेश जी को जनेऊ पहनाये व इत्र भी लगाये।
2.
माँ भगवती का पूजन- सर्वप्रथम माता को शुद्ध जल व गंगाजल से स्नान कराये। इसके बाद माता को नये वस्त्र पहनाये व माँ को लाल चुनरी अवश्य उड़ाये। माँ को रोली से तिलक लगाये, अक्षत लगाये, माँ को फूलों का लाल हार (गुलाब या गुड़हल) पहनाये। माता को गुड़हल अति प्रिय है इसलिए माता को गुड़हल का फूल अवश्य चढ़ाये।
माँ को विधिवत् इत्र लगाये। माता के सामने पान में सुपाड़ी, इलाइची, लौंग, कपूर और एक सिक्का रखकर चढ़ाये और हाथ में फल, अक्षत, एक सिक्का लेकर माता के सामने संकल्प करे। माँ को हरा नारियल चढ़ाये।
घट या कलश स्थापना- कलश स्थापना करने से पूर्व कलश को धो ले। शारदीय नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना अर्थात कलश स्थापना होती है। प्रातः काल घट स्थापना का संकल्प ले।
संकल्प– हे देवी। मै दीर्घायु, मोक्ष कल्याण, आरोग्य आदि संकल्प के साथ तेरी पूजा के लिये समर्पित हूँ। कृपया मेरी पूजा स्वीकार्य करे। उसके बाद “ओम मही धौ” से भूमि का स्पर्श करे। तदुपरान्त गणेश जी की पूजा अर्चना करे। इसके बाद कलश को पवित्र वेदी पर रखकर अर्थात कलश रखने के स्थान पर सतिया लगाकर व रोली चावल, फूल से पूजित करने के बाद कलश रखकर इस मंत्र से उसमे जल भरे।
“ॐ इममं गंगे-यमुने”। ॐ गन्धद्वाराम से गन्ध (इत्र) से छीटें देकर “ओम औषधयः” का उच्चारण करते हुये उसमे पाँच प्रकार की चीजें अर्पित करे। फूल, जौ, काले तिल, सुपाड़ी, लौग, रोली और एक सिक्का।इसके बाद देवी जी की प्रार्थना करे।
“ओम् काण्डातकाण्डात् प्ररोहन्ती पुरूषः परूषस्परि एवां नो दुर्वे प्रतनु सहस्त्रेण शतेन च”
इस प्रार्थना के बाद कलश पर लाल कपड़ा व कलावा बाँध दे। तदुपरान्त कलश में आम के पत्ते लगाकर व सकोरी में जौ डालकर रखे। इसके ऊपर नारियल में लाल कपड़ा लपेट कर व कलावा लपेट कर कलश पर रखे। तथा इसका उपरोक्त विधान से पूजन करे। तदुपरान्त जौ बोये व प्रार्थना करे।