उद्देश्य
जिस मुहुर्त में वहाँ विवाह होता है यानी भाँवरे (फेरे) पड़ती है उसी मुहुर्त में (समय) यहाँ वर पक्ष के यहाँ विवाह यानी नकटोरा करने का विधान है। उसी प्रकार यहा दुल्हा दुल्हन बनते है, फेरे लेते है व एक महिला ‘बुबना’ बनती है जो शाखाच्चोर पढ़ती है। दो रूमाल या तौलिया, दो जगह 11-11 रू0 चावल, बताशे के पैकिट बना कर जो दूल्हा दुल्हन बनेगी उन्हे दिया जायेगा। बुबना से सभी ऐपन की चूड़ी पहनते है व चूड़ी पहनाई नेग देते है।
उद्देश्य- नकटौरा यानि यहाँ वर पक्ष के यहाँ विवाह करने का मुख्य उदेदश्य यह है कि जिस वक्त मुहुर्त में वहाँ भावरे पड़ती है तो किसी भी प्रकार का कोई ऊपरी व्यवधान न पड़े इस लिये यहाँ खूब शोर-शराबे के साथ विवाह का उसी प्रकार कार्यक्रम किया जाता है जिससे हर व्याधा इघर ही आकृष्ट हो जाए, वहाँ सकुशल विवाह सम्पन्न हो जाए ऐसा हमारे बड़े बुजुर्गो के कथनानुसार नियम है। इसीलिये यहाँ विवाह के साथ रात भर नाच गाना किया जाता है।