जापे में देने वाला सामान

जच्चा को बच्चे की छठी तक अन्न नहीं दिया जाता।

हरीरा

सामग्री:- देशी घी, पोस्तादाना, शक्कर, जल

मेवा- कटे हुये महीन महीन बादाम काजू, किशमिश, साफ किये हुये और भुने हुये खरबूजे के बीज, चिरौंजी

मसाले पिसे हुये-

जीरा पिसा हुआ, अजवाइन पिसी हुयी, हल्दी पिसी हुई, सौंठ पिसी हुई।

विधि- हरीरा बनाने से एक दिन पहले रात में पोस्ता दाना को थोड़े ज्यादा से पानी में भिगो दे। यदि शाम के समय बनाना हों तो सुबह भी पोस्तादाना भिगो सकते है। पोस्तादाना भीगने पर सावधानी पूर्वक उसका पानी निचोड़ कर (निथार कर) निकाल दे और पोस्ता दाना को महीन महीन पीस ले। ध्यान रहे कि पोस्तादाना महीन पिसा जाये। (मिक्सी में भी पिस जाता है) अब हरीरा बनाने के लिए आँच पर कढ़ाई चढ़ाने के बाद उसमे इतना देशी घी डाले कि पोस्ता दाना बिल्कुल रसेदार हो जाये।

अब घी डालने के बाद थोड़ा गरम होने पर मसाले यानि अजवाइन, जीरा, सौठ, हल्दी डाले व साथ ही पिसा हुआ पोस्तादाना भी डाले। अब मध्यम आँच पर भूने। पोस्ता दाना में घी रसेदार इस लिये रखा जाता है क्योकि पोस्तादाना काफी घी पीता है।

काफी देर भूनते रहने के बाद पोस्ता हल्का बादामी रंग का हो जायेगा तब अंदाज से पानी डालकर (थोड़ा) बुझाये व लगातार चलाते रहे।

सब पानी जल जाने पर पोस्ता फिर घी छोड़ देगा। तब आप उसमें अपने हिसाब से शक्कर डाले व सारी कटी हुई मेवा डाले व हल्की ऑच पर चलाते हुये थोड़ी देर तक पकने दे। ध्यान रहे हरीरा थोड़े ज्यादा घी दार या यूं कहे रसेदार घी का ही बनाया जाता है।

पोस्त हलुवा

पोस्त का हलुवा बनाने के लिये इसमे इतना फर्क है कि हम घी डालने के बाद मसाले नहीं डालते है। केवल पिसा हुआ पोस्ता दाना ही डालते हैं। और भूनने के बाद उपरोक्त विधि से ही पानी से बुझा कर शक्कर डाले व मेवा इत्यादि डाले तथा थोड़ी देर तक पकाये/पोस्त का हलुवा तैयार है।

किनौने की पूड़ी/पराठा

किनौने की पूड़ी बनाने के लिये किनौने अर्थात पिसी अजवाइन व पिसा जीरा दोनो मसालो को पूड़ी के आटे में डालते है। इसके साथ ही अन्दाज से नमक व घी का मौइन डालकर आटा मलते है। जच्चा को रोजाना ही किनौने की पूड़ी या पराठा दिया जाता है।

चूरन जच्चा के लिये (हाजमे के लिये)

पिसी अजवाइन, पिसा जीरा, सौठ पाउडर (बराबर मात्रा में) काला नमक, सादा नमक, हींग भूनकर थोड़ी ज्यादा मात्रा में थोड़ा सा देशी घी डाल कर मसल ले। चूरन तैयार है। ये चूरन जच्चा के लिये विशेष रूप से फायदेमन्द है।

बादाम का छौंका या बादाम का दूध

बादाम का छौंका या बादाम का दूध बनाने के लिये रात में अन्दाज से 20-25 बादाम पानी में भिगो दे। न भिगो पाये तो सुबह तड़के ही गरम पानी करके भिगो दे जिससे भीग जाने पर सही से छिल जाये। बादाम छीलकर यानि छिलका अलग करके सिल पर पीस ले। यहाँ ये बताना जरूरी है कि बादाम मिक्सी में महीन पिसना सम्भव नही है। अब थोड़े पानी से पिसे बादाम को बटोर कर एक भगोने में डाले। फिर बाकी बादाम को भी पानी के साथ बटोर ले अब हल्की आँच पर बादाम का भगोना चढ़ाकर हल्का भूने। जब बादाम का पूरा पानी जल जाये यानि छुन्न हो जाये तो उसमे बादाम की खूशबू आने लगेगी। खुशबू आने पर 1.5 से 2 चम्मच देशी घी डाल दे व दो मिनट चलाये। इसके बाद दूध डाले जितना बनाना हो और शक्कर डाल कर एक उबाल दे लें।

बादाम का छौंका तैयार है। वैसे थोड़ा ज्यादा दूध ही बना लेते है। जिससे दिन में दो बार ले सके। ये बाकी लोग भी स्वास्थ्य के लिये ले सकते है।

मेवा

जच्चा का सामान बनाने के लिये हर मेवा को पहले ही साफ करके व काट कर रख ले तो सुविधा होगी। जैसे बादाम में कुछ बादाम को अलग से महीन काट कर रख ले।

काजू- इसी प्रकार कुछ मात्रा में काजू महीन काट कर रखे।

खरबूजे के बीज– खरबूजे के बीजों को साफ करके यानी बीन कर हल्की आच पर भून कर रख ले। एक जार में इसी तरह चिरौजी व किशमिश भी साफ कर के रख ले।

मसाले- इसी प्रकार मसाले अर्थात जीरा साफ करके पीस कर जार में रखे अजवाइन पीस कर साफ करके जार में रखे तथा पिसी सौठ भी रखे। हर जार पर सामान के नाम की चिट लगा कर रख ले। देखिये कितनी सुविधा होगी व आपके समय की भी बचत होगी।

जच्चा के लिये सबसे फायदेमंद-मगध के लड्डू- सामग्री

  1. आटा
  2. देशी घी
  3. खोया
  4. बूरा
  5. मेवा- मेवा में बादाम महीन कटे हुये, काजू महीन कटे हुये, किशमिश, गरी कसी हुई, चिरौंजी, खरबूजे के बीज साफ करके भुने हुये (अकोरे हुये) गोंद इत्यादि।

बनाने की विधि-

सबसे पहले खोये को हल्की आँच पर गुलाबी गुलाबी भून ले। मेवा की पूरी सामग्री कथनानुसार तैयार कर ले। इसके बाद आँच पर कढ़ाई गर्म करके आटे में इस अनुपात में घी (अधिक) मात्रा में डाले कि आटा हल्का रसे सा या ढीला हो जाये। इसको हल्की आँच पर बादामी होने तक भूने। उसके बाद एक बड़ी परात में ये भूनी हुई सामग्री ठंडा होने के लिये रखे। ठंडा होने पर इसमे भूना हआ खोया, तैयार मेवा व कुल सामग्री के हिसाब से बूरा डाले और दोनो हाथो की सहायता से मसल कर अच्छी तरह मिला ले। यहाँ एक बात ध्यान देने की है कि गोंद को अलग से तल कर न पीसे, अपितु जब आटे में घी डाले तो साथ ही महीन किया गोंद भी डाल दे जिससे आटे व घी के मध्य गोंद भी कायदे से भुन जाये। अब आप पसन्द के आकार के लड्डू बॉध ले । चाहे तो इसमें थोड़ी छोटी इलाइची भी पीस कर डाल सकते हैं। वास्तव में जच्चा के लिये निन्ने मुँह यानी सबसे पहले एक लड्डू प्रतिदिन खाये तो काफी स्वास्थ्य पूर्ण है।

कूटू के कोफ्ते (पकोड़े)

उबले आलू मैश करके उसमे स्वादनुसार सेदा नमक व काली मिर्च मिलाये। साथ ही मैश किये आलू में पनीर मिला ले अथवा आलू के गोले बनाते समय उसमे मैश किया हुआ पनीर रख ले। अव पनीर के गोले को घुले हुये आटे में लपेट कर हल्की आँच पर फ्राई करें (तले)।

गरी का हलवा

कसा हुआ (सूखा) गरी गोला, 1 कटोरी कसी हुई गरी लगभग 2 या 2.5 कटोरी दूध में रात को भिगो दे। सुबह बनाने के लिये पहले गरी को दूध से निचोड़ कर अलग करे। फिर गरी को महीन पीस ले थोड़े दूध के साथ। ध्यान रहे अब पिसी हुई गरी और उसका अलग किया भीगा हुआ दूध एक साथ कढ़ाई में डाल दे। अब मध्यम आच पर कर्छली से चलाते हुये भूने। थोडी देर में दूध सब भूनकर खत्म हो जायेगा व गरी सूखने लगेगी व कढ़ाई में चिपकने लगेगी तो उसमे 1 से 1.5 चम्मच देशी घी डाले व शक्कर डाले। गरी का हलुवा तैयार है। इसकी विशेषता ये है कि ये काफी पौष्टिक है। ये दुर्बल व्यक्ति, बुजुर्ग सभी के लिये लाभप्रद है।