पूजन के बाद माँ (बहू) द्वारा संकल्प के साथ कूँडा छिड़काया जाता है। कूड़े में साड़ी, ब्लाउज, सुहाग का सामान, 8 लड्डू, मेवा इत्यादि छिड़कवाकर चचिया सास को दिया जाता है। तदुपरान्त बालक की माँ भीगे हुए चने अपने पसें सूप यानी दोनों हाथो की उंगलियों से एक साथ भर कर नागों पर चढ़ाती है। ये काम 5 या 7 बार किया जाता है। आरती व हाथ में मिठाई लेकर कार्य सम्पन्न किया जाता है। छठी के दिन रात भर 1/2 घटे के अन्तराल में 4/4 दाने चने, छठी पर छोड़े जाते है। इसलिये रात भर रतजगा किया जाता है। छठी पूजने के बाद घर-परिवार की कोई सुहागिन स्त्री जिसके बालक हो वो बहू को उर्द भात के 7 कौर खिलाकर बहू का व्रत तुड़वाती है।
रीति रिवाजों की खुशबू (कुमकुम चतुर्वेदी द्वारा)