हमारे समाज में हर शुभ कार्य से पहले दिन धारा जाता है। जो शगुन का प्रतीक है।जिसमे कलश पर गौरा जी की स्थापना की जाती है।
विधि- सबसे पहले एक का कलश लें। उसे धोकर शुद्ध जल भरें व कलश पर सतिया लगाये। जल में रोली, चावल, फल, हल्दी डालें। अब कलश के ऊपर सकोरी चावल भर कर रखे। इसके पश्चात आटे के (मले हुए) चार लडडू बनाये एक बड़ा अण्डाकार लडडू बनाये जिसमे चित्र के अनुसार गौरा जी का चेहरा बनायें। यानि काजल से आँखें, सिन्दूर से माँग, बिन्दी व होठ बनायें। अब कलश पर रखे चावल के सकोरे पर पहले आटे के चारो लडडू रखे और इनके ऊपर बीच में गौरा जी के चेहरे वाला बड़ा लड्डू रखें। गौरा जी को लाल रंग की चीर उड़ायें। या लाल रिबन उडाये, बिन्दी लगाये, माँग भरें। इस प्रकार हमारा दिन धरने के लिये गौर कलश तैयार है।
इनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करें।।