यह त्यौहार कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। अहोई देवी के चित्र के साथ सेही और सेही के बच्चों के चित्र भी बनाये जाते हैं। ये बच्चों की मंगल कामना हेतु है। सफेद पुती हुई दीवाल पर गेरू से चित्र बनाया जाता है। केवल पुत्रवती मातायें ही पूजन करती हैं।
रीति रिवाजों की खुशबू (कुमकुम चतुर्वेदी द्वारा)